रायपुर। एक दिव्यांग ने अपनी कमजोरी को ताकत में बदल दिया है। पैर में पोलियो होने के कारण 50 फीसदी दिव्यांग है। बीकॉम की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह नौकरी पाने के लिए कंपनियों के चक्कर लगाने लगे। दिव्यांग होने के कारण उन्हें कोई नौकरी नहीं देना चाहता था। संदीप को दिव्यांग कहकर भगा दिया जाता था। निराश होकर वह अपनी किस्मत को कोसते रहते थे।
लोन लेकर किया व्यवसाय
साल 2014 में समाज कल्याण विभाग से लोन लेकर संदीप ने खुद का काम शुरू किया। लोन से उन्होंने कूलर, आलमारी जैसे फर्नीचर बनाना शुरु किया। शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी हुई, लेकिन अब उनका काम अच्छा चल रहा है। साथ ही उन्होंने दो मिस्त्री और एक मजदूर को भी अपने काम पर रखा है। गर्मी के मौसम में काम बढ़ जाने के कारण मिस्त्री और मजदूरों की संख्या बढ़ा दी जाती है। संदीप पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ में सचिव हैं। इसके जरिए वह दिव्यांग खिलाड़ियों की मदद करते हैं।
कर रहे देश का प्रतिनिधित्व
बातचीत में उन्होंने बताया कि बचपन में दूसरे को खेलते समय उनका भी मन करता था और बच्चों की तरह खेलना का। वह राष्ट्रीय स्तर पर तवा, गोला और भाला फेक प्रतियोगिता में भाग ले चुके है। जहां उन्हें ब्रॉन्ज मेडल भी मिला है। संदीप डब्ल्यूआरएस कॉलोनी के निवासी है। उनके दोनों पैरों में पोलियों है। संदीप देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।