रायपुर। डायबिटीज (मधुमेह) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। डायबिटीज में परहेज न किया जाए तो यह जान का कारण बन सकता है। लेकिन सही इलाज और दवाओं से इसे कंट्रोल में किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों के मन में अक्सर यह बात रहती है कि डायबिटीज की दवाएं किडनी को नुकसान पहुंचा सकती है। इस धारणा के कारण कई मरीज डायबिटीज का इलाज करवाने से कतराते हैं। जिससे आगे चलकर उन्हें नुकसान हो सकता हैं।
ब्लड शुगर को निंयत्रित करता है
डायबिटीज़ की दवाएं किडनी को नुकसान पहुंचाने के बजाय उन्हें मदद पहुंचनाने का काम करती हैं। इन दवाओं का मुख्य उद्देश्य ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने का काम होता है। जिससे किडनी को नुकसान पहुंचने का जोखिम कम हो जाता है। सही दवाओं और इलाज से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना किडनी की सुरक्षा के लिए जरूरी होता है। डायबिटीज की एलोपैथिक दवाओं को लंबे समय के प्री-क्लिनिकल शोध एवं विलनिकल रिसर्च के बाद ही नियमित रूप से इस्तेमाल में लिया जाता है। इससे इन दवाओं के प्रभाव और साइड इफेक्ट्स के बारे में लगभग संपूर्ण जानकारी उपलब्ध रहती है, और इस्तेमाल के दौरान भी इन पर निरंतर निगरानी और दस्तावेजीकरण होता रहता है।
शरीर में डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने का खतरा
जब कोई दवा अच्छी तरह से अध्ययनकत और रिसर्च होती है, तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास उसके उपयोग के बारे में विश्वसनीय जानकारी होती है। इसमें खुराक की सिफारिशें, संभावित दुष्प्रभाव और निषेध सब शामिल होते हैं। यह जानकारी डॉक्टरों को विशेष स्थिति और समग्र स्वास्थ्य के लिए सबसे उपयुक्त दवाएं चुनने में मदद करती है। शुगर की दवाएं ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है यदि यह ब्लड शुगर को कंट्रोल न करें तो शरीर में डायबिटिक नेफ्रोपैथी हो सकती है।