रायपुर। असम से वन भैंसा लाने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. बता दें कि वन विभाग की टीम असम गई थी। वहां से चार मादा वन भैंसा (बाइसन) लेकर आने वाली थी. इससे पहले ही जनहित याचिक पर कोर्ट ने आदेश कर दिया है. याचिका में कहा है कि जीन मिक्स होने से छत्तीसगढ़ के वन भैंसा की विशेषता समाप्त हो जाएगी. इसके बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गौतम भादुड़ी और न्यायाधीश नरेश कुमार चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में सुनवाई की गई है. छत्तीसगढ़ वन विभाग ने तीन साल पहले असम से मानस टाइगर रिजर्व से एक नर और एक मादा बाइसन मंगवाया था।
अधिनियम के सूची-1 के आधार पर
कोर्ट याचिका में बताया गया है कि वन भैंसा वन्यप्राणी अधिनियम के सूची-1 के आधार पर संरक्षित है. छत्तीसगढ़ वन विभाग ने बताया कि असम से लाए गए मादा वन भैसों से उदंती के बाइसन से प्रजनन कराएंगे. इससे नई जीन का पूल तैयार होगा. इस पर भारतीय वन्यजीव संस्थान भी दो बार शिकायत दर्ज करा चुका है. वहीं याचिका में यह भी कहा गया है कि सीसीएमबी नामक डीएनए चेक करने वाले संस्थान ने भी बताया कि असम के वन भैसों में भोगोलिक स्थिति के कारण आनुवंशिकी में अंतर है. इसके बाद देश के सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के वन भैसों की शुद्धता बरकरार रखने की आदेशित किया था।
इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी रिपोर्ट
वहीं NTCA की तकनीकी समिति ने असम के वन भैसों को छत्तीसगढ़ के बारनवापारा में पुनर्वासित करने के पूर्व परिस्थितिकी अर्थात इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी रिपोर्ट मंगवाई थी. इससे यह पता चलता कि असम के वन भैसे छत्तीसगढ़ में रह सकते हैं कि नहीं? इसके बाद भी छत्तीसगढ़ वन विभाग बिना इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी अध्यन कराए और एनटीसीए को रिपोर्ट दिए वन भैसों को लेकर आने की प्रक्रिया शुरू कर दी।