Friday, November 22, 2024

Crime Statistics: देश बदला, कानून बदला लेकिन दुष्कर्म जैसे अपराध नहीं, जाने अपराध के आकंड़े

रायपुर। रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बाद भी आरोपियों को फांसी नहीं दी जाती। पिछले 24 साल में केवल 5 दुष्कर्मियों को ही फांसी की सजा दी गई है। साल 2004 में धनंजय चटर्जी को 1900 के दुष्कर्म के मामले में फांसी दी गई थी। वहीं मार्च 2020 में निर्भया के 4 आरोपियों को तिहाड़ जेल में फांसी की सजा दी गई थी। जिसमें आरोपी विनय,मुकेश, अक्षय और पवन शामिल थे।

दुष्कर्म के आकंड़े

आंकड़ों के मुताबिक कड़ा कानून होने के बाद भी हमारे देश में रेप के मामले में न तो गिरावट आई है और न ही की दर में कोई बढ़ोत्तरी हुई। भारत में प्रत्येक घंटे में 3 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया जाता है यानी हर 20 मिनट में 1 रेप की वारदात को अंजाम दिया जाता है। देश में दुष्कर्म के मामलों में 96 फीसदी से ज्यादा आरोपी पीड़िता के जान-पहचान वाले होते है। दुषकर्म के मामलों में 100 में से 27 आरोपियों को ही सजा दी जाती है। बाकी को बरी कर दिया जाता है।

4 लाख से ज्यादा शिकायत

केंद्र सरकार की एजेंसी नेशनल क्राइम ब्यूरों के आकंडे बताते है कि भारत में पूरे साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4 लाख से अधिक अपराध के मामले दर्ज किए जाते है। इन अपराधों में केवल रेप ही नहीं बल्कि दहेज हत्या, महिलाओं के साथ छेडछाड़, ट्रैफिकिंग, किडनैपिंग और एसिड अटैक जैसे अपराध भी शामिल है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का जिक्र इसलिए भी हो रहा है क्योंकि हाल ही में आए रेप के मामलों ने देश को हिलाकर रख दिया है।

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