Sunday, September 8, 2024

बारिश से भीग कर लाखों क्विंटल धान हुआ खराब, जिम्मेदार नहीं करा रहे उठाव

रायपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान की हर स्तर पर बर्बादी होती दिखाई दे रही है। किसानों के खून पसीने की मेहनत से उत्पन्न धान की खरीदी छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से शुरू हो गई थी। जो कि 4 फरवरी तक चली। इसमें किसानों ने अपना धान समितियों में बेचा. इन समितियों से धान का उठाव 72 घंटे के भीतर होना था, लेकिन धान खरीदी के 4 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक धान का उठाव नहीं हो पाया है। जिसके चलते धान खरीदी केंद्रों में धान जाम है।

धान बारिश के कारण हुआ खराब

बात दें कि मौसम में बदलाव के चलते प्रदेश के कई इलाकों में बारिश हुई। जिसके चलते बलौदा बाजार में हुई बारिश के बाद जब धान खरीदी केंद्रों का जायजा लिया गया तो यहां अव्यवस्था का आलम साफ दिखाई दिया। बारिश से न सिर्फ धान भींग गया है, बल्कि धान खराब हो रहा है। सोसायटी के बारदाने में भरे धान खराब होकर सड़ रहे हैं। समिति प्रबंधकों के द्वारा धान का उचित रख रखाव नहीं होने और जिले के जिम्मेदार अफसरों द्वारा धान के उठाव पर संज्ञान नहीं लिए जाने के कारण अब ये धान बर्बाद हो रहा है.

उत्पादन का 97.45 फीसदी धान की हुई खरीदी

इस बार 1 नवबंर से धान खरीदी प्रारंभ हुई थी. प्रदेश में प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदने की घोषणा होने के कारण प्रदेश की सरकार बदलते ही घोषणा को अमल में लाया गया. इधर, खरीदी के दौरान लगातार छुट्टी होने और बारिश की वजह से धान खरीदी की तारीख में बदलाव कर 4 फरवरी तक बंफर धान खरीदी की गई है. बता दें कि बलौदा बाजार के 166 धान उपार्जन केंद्रो में 1 लाख 60 हजार 817 किसान पंजीकृत हैं, जिनमें से 1 लाख 56 हजार 713 किसानों से 8 लाख 72 हजार 163 मेट्रिक टन धान की खरीदी की गई जो कुल रकबा का 97.45 फीसदी है.

धान की नहीं हो रही है मिलिंग

राज्य की राजनीति हो या प्रदेश मे सत्ता में आने की लालच कई वर्षों से धान का मुद्दा प्रमुख भूमिका निभाते चले आ रहा है। गांव की गलियों से सदन की बैठकों और सभाओं तक का प्रमुख केन्द्र रहने वाला धान अब सत्ता वापस मिल जाने पर सरकार की प्राथमिकता से हट सा गया है. छत्तीसगढ़ और खासकर बलौदा बाजार में धान की उपेक्षा की जा रही है, जिसके चलते धान समितियों में जाम पड़ा हुआ है. साथ ही डीओ भी नहीं कट रहा है. इसके कारण धान मिलिंग के लिए नहीं जा पा रहा है.समितियों से मिलर धान नहीं उठा रहे हैं. इससे जहां एक तरफ समिति प्रबंधक धान में नमी कम होने पर सूखाने के लिए परेशान हैं. वहीं दूसरी तरफ बदलते मौसम की वजह से धान और खराब हो रहा है. इतना ही नहीं अब समिति प्रबंधकों की भी लापरवाही सामने आने लगी है. समितियों में बेतरतीब ढंग से धान रखा गया है जिसके कारण धान का ज्यादा नुकसान हो रहा है.

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