रायपुर। पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जन सभा को संबोधित करते हुए कहा है कि राम आग नहीं ऊर्जा हैं। वह विवाद नहीं समाधान हैं। वह वर्तमान नहीं अनंतकाल हैं।
पीएम मोदी ने जनसभा को किया संबोधित
पीएम मोदी ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, राम आग नहीं ऊर्जा हैं। वह विवाद नहीं समाधान हैं। वह वर्तमान नहीं अनंतकाल हैं। वह भारत के आधार भी हैं और विचार भी हैं. ये बातें उन्होंने अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहीं। प्रधानसेवक ने आगे यह भी कहा कि यही समय है। जब आज से इस समय तक अगले 1000 साल तक की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर सभी देशवासी दिव्य और भव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। राम के विचार मानस के साथ जनमानस में भी हों, यह राष्ट्रनिर्माण की सीढ़ी है। आज के युग की मांग है कि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा। हनुमान की भक्ति, सेवा और समर्पण को हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता। हर भारतीय में ये गुण निहित हैं। यही देव से देश और राम से राष्ट्र का आधार बनेंगे।
काल च्रक का उद्गम हुआ है
पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के उद्घाटन के बाद कहा है कि सदियों की प्रतीक्षा के बाद आज हमारे राम आ गए. यह पल पवित्रतम है. यह वातारण, यह माहौल, यह ऊर्जा, यह घड़ी प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है। 22 जनवरी 2024 का यह सूर्य एक अद्भुत आभा लेकर आया है। आज की तारीख कैलेंडर पर लिखी डेट नहीं यह एक नए कालचक्र का जन्म है।
की गई पुष्प वर्षा
बता दें कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अयोध्या में कई प्रतिष्ठित अतिथि पहुंचे। श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद सेना के हेलीकॉप्टर ने पुष्प वर्षा की। 50 वाद्ययंत्र से मंगल ध्वनि बजाया गया। मौके पर मौजूद मेहमान घंटिया बजा रहे थे। 121 आचार्यों ने अनुष्ठान का संचालन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने रामलला को साष्टांग दंडवत किया। गर्भ गृह में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहीं।
क्यों जरूरी है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा ?
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी भी मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति रखने व स्थापित करने से पहले उस मूर्ति की विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जानी जरूरी होती है। बता दें, प्राण प्रतिष्ठा का मतलब उस मूर्ति में प्राण की स्थापना करना यानी जीवन शक्ति को स्थापित करके मूर्ति को देवता के रूप में बदला जाता है। मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के लिए वैदिक मंत्रों के उच्चारण और अनेकों तरह की पूजा विधियों के द्वारा उस मूर्ति में प्राण को स्थापित किया जाता है। इसी वैदिक परंपरा को प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं। मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मूर्ति में भक्तों की प्रार्थना स्वीकार करने वरदान देने की शक्ति आ जाती है।
किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कई चरण होते हैं, जिसे पूरा करके मूर्ति को स्थापित किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा के विभिन्न चरणों को अधिवास कहा जाता है। जैसे जलाधिवास, अन्नाधिवास, फलाधिवास, धृताधिवास आदि। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का वर्णन कई पुराणों और धर्मग्रंथों में किया गया है।