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Zoo: पर्यटकों के लिए खुशखबरी, दोबारा जू में लौटेंगे भालू

रायपुर। कानन पेंडारी जू के पर्यटकों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। यहां 3 साल बाद उन्हें भालू देखने को मिलेगा। अक्टूबर 2021 से जू के सभी नौ भालुओं को संक्रमण के कारण क्वारंटाइन किया गया था। जब स्थिति सामान्य हुई तब भालुओं के लिए पिंजरे की कमी थी। अब संक्रमण समाप्त हो […]

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  • September 30, 2024 1:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

रायपुर। कानन पेंडारी जू के पर्यटकों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। यहां 3 साल बाद उन्हें भालू देखने को मिलेगा। अक्टूबर 2021 से जू के सभी नौ भालुओं को संक्रमण के कारण क्वारंटाइन किया गया था। जब स्थिति सामान्य हुई तब भालुओं के लिए पिंजरे की कमी थी। अब संक्रमण समाप्त हो गया है और भालुओं का नया आशियाना भी तैयार हो गया है।

भालूओं के बिसरा को लैब भेजा

जू प्रबंधन भालुओं को नए केज में शिफ्ट कर देगा। इस दिन चिड़ियाघर की छुट्टी रहती है, इसलिए मंगलवार से चिड़ियाघर को दोबार पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। पर्यटक भालुओं की उछलकूद एक बार फिर से देख पाएंगे। अक्टूबर 2021 में कानन पेंडारी जू के अंदर इंफेक्शियस कैनाइन हेपेटाइटिस (आइसीएच वायरस) संक्रमण ने दस्तक दी थी। जिससे 3 भालुओं की मौत हो गई थी। इन मौतों से जू प्रबंधन में कोहराम मच गया था। मृत भालुओं के बिसरा को जांच के लिए लैब भेजा गया।

भालुओं को किया जाएगा शिफ्ट

लैब में जांच से पता चला कि भालुओं की मौत वायरस से हुई है। इसकी जानकारी मिलने के बाद केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने कानन प्रबंधन को निर्देश देकर सभी भालुओं क्वारंटाइन करने के लिए कहा। साथ ही पर्यटकों के लिए भालुओं के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई। अब पिंजरे का काम पूरा हो गया है। जिसका निरीक्षण करने के बाद अब भालुओं को यहां शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है। मंगलवार से भालुओं को पिंजरे में शिफ्ट कर दिया जाएगा और पहले की तरह पर्यटक भालुओं को देख पाएंगे।

केज में आराम से होगा इलाज

भालुओं के लिए बनाए नाइट सेल्टर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मापदंडों के मुताबिक है। सभी पिंजरे इस तरह डिजाइन किए गए है कि सूर्य की किरणें आसानी से अंदर जा सके। पुराने पिंजरे में यह व्यवस्था नहीं थी। सूर्य की रोशनी शरीर पर पड़ने से भालु कई तरह के संक्रमण से बचे रहते है। नाइट सेल्टर से जुड़ा हुआ एक पिंजरा भी बनाया गया है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है, ताकि जब कभी भी भालुओं के इलाज की आवश्यकता पड़े तो इसी पिंजरे में लाकर इनका इलाज किया जाएगा।


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