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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला में सेवानिवृत्त IAS सहित 7 पर मामला दर्ज, जानें पूरा डिटेल

रायपुर: शराब नीति में बदलाव कर झारखंड सरकार के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सहित सात लोगों पर मामला दर्ज किया है। इन धाराओं के तहत मामला दर्ज ACB […]

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  • September 28, 2024 11:22 am Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

रायपुर: शराब नीति में बदलाव कर झारखंड सरकार के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सहित सात लोगों पर मामला दर्ज किया है।

इन धाराओं के तहत मामला दर्ज

ACB अधिकारियों ने बताया कि झारखंड के रांची निवासी विकास कुमार की शिकायत के आधार पर 7 सितंबर को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

इन लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों ने मामले को लेकर बताया कि जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, व्यवसायी अनवर ढेबर, IAS अधिकारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास और अरविंद सिंह (सभी छत्तीसगढ़ के), झारखंड के पूर्व आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे (1999 बैच के झारखंड कैडर के IAS) और नोएडा के व्यवसायी विधु गुप्ता का नाम शामिल है।

ED समेत कई एजेंसिया कर रही जांच

इसके अलावा मेसर्स सुमित फैसिलिटीज के निदेशक, शराब आपूर्तिकर्ता एजेंसियों, मैनपावर एजेंसियों और अन्य के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है। त्रिपाठी, दास, टुटेजा, ढेबर और सिंह छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले में भी आरोपी हैं, जिसकी जांच छत्तीसगढ़ के प्रवर्तन निदेशालय और एसीबी, ईओडब्ल्यू द्वारा की जा रही है। छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सामने आया था।

2022-23 के बीच का मामला

एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी और दास ने एक सिंडिकेट बनाया और झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखंड की उत्पाद शुल्क नीति में संशोधन की साजिश रची। इसके साथ ही पड़ोसी राज्य में देशी-विदेशी शराब की सप्लाई का टेंडर सिंडिकेट के लोगों को दिया गया, जिससे फर्जीवाड़ा हुआ और झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ.


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