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Summer Vacation में कोरबा का जंगल बना प्रयोगशाला, युवा कर रहें रिसर्च

रायपुर : अधिकतर जगहों पर गर्मी की छुट्टि हो चुकी है। बच्चों के एग्जाम खत्म हो चुके हैं। छुट्टियों में लोग अपने घर से बाहर घूमने निकल जाते हैं लेकिन कोरबा के जंगलों में एक ऐसा प्रयोग चल रहा है, जहां अलग-अलग कॉलेज के बच्चे किताबों में पढ़ने वाले ज्ञान का रिसर्च जंगलों में करते […]

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Summer Vaccation में कोरबा का जंगल बना प्रयोगशाला
  • May 19, 2024 9:39 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

रायपुर : अधिकतर जगहों पर गर्मी की छुट्टि हो चुकी है। बच्चों के एग्जाम खत्म हो चुके हैं। छुट्टियों में लोग अपने घर से बाहर घूमने निकल जाते हैं लेकिन कोरबा के जंगलों में एक ऐसा प्रयोग चल रहा है, जहां अलग-अलग कॉलेज के बच्चे किताबों में पढ़ने वाले ज्ञान का रिसर्च जंगलों में करते हुए दिख रहे हैं. बता दें कि इन दिनों छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में किंग कोबरा प्रोजेक्ट पर बच्चें काम कर रहे हैं। वन विभाग के द्वारा बच्चों को इसके लिए अनुमति मिली, इसके बाद वन के दुर्लभ जीव किंग कोबरा और उनके रहवास पे बच्चे अध्यायन कर शुरू कर दिए। कॉलेज के पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को इस प्रोजेक्ट टीम के साथ जंगलों में अलग-अलग शाशनिक सब्जेक्ट्स को सीखने का मौका मिल रहा है.

इन विषयों के स्टूडेंट्स पहुंच रहे प्रयोगशाला

बता दें कि पिछले कुछ महीनों में प्रदेश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के जूलॉजी, बॉटनी, मैनेजमेंट आदि विषयों के स्टूडेंट्स कोरबा के जंगल पहुंचे और किंग कोबरा टीम के साथ कई चीजों पर रिसर्च किया. बच्चों को इस दौरान जीवों की पारिस्तिथिकी, वन्यजीव संरक्षण और विज्ञानं का महत्व, वन्यजीवों, पेड़ पौधों की पहचान करना के बारे मे पता चला है. इस सजीव प्रयोगशाला में बच्चों को जमीनी स्तर पर सिखने का मौका मिल रहा है. वहीं नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी के एक्सपर्ट्स बच्चों को रिसर्च के दौरान वन्यजीवों की पहचान करने से लेकर किंग कोबरा के साथ अन्य जीवों के संरक्षण के बारे में अवगत कराएं हैं।

बच्चों को मिल रहा बहुत कुछ सिखने को

इस रिसर्च के दौरान बच्चों को स्थानीय समुदायों के साथ घुलने-मिलने, उनके रहन-सहन और वनों का उनके दैनिक जीवन पर क्या असर होता है, इसके बारे में बताया गया है। हालांकि गर्मियों में बच्चों को यह प्रयोगशाला अधिक भा गया हैं और बच्चों को रिसर्च के साथ-साथ तरह-तरह के दुर्लभ जीवों को देखने का मौका मिला है . बच्चों ने कहा कि किंग कोबरा प्रोजेक्ट उन्हें ऐसा चांस दिया कि वे मोबाइल और लैपटॉप की दुनिया से बाहर निकल कर कुछ पल प्रकृति के साथ बिता पा रहे हैं.


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