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High Court: सुसर से वित्तीय सहायता की मांग के फैसले को हाई कोर्ट ने बताया सही

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पारिवारिक कोर्ट के उस फैसले को कायम रखा जिसमे ससुर को विधवा बूह और 9 साल की पोती के लिए भरण-पोषण के लिए वित्तीय सहायता देने के निर्देश दिए गए थे। डिवीजन बेंच का कहना है कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 के तहत एक विधवा बहू को धारा […]

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High Court
  • September 4, 2024 11:08 am Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पारिवारिक कोर्ट के उस फैसले को कायम रखा जिसमे ससुर को विधवा बूह और 9 साल की पोती के लिए भरण-पोषण के लिए वित्तीय सहायता देने के निर्देश दिए गए थे। डिवीजन बेंच का कहना है कि हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम 1956 के तहत एक विधवा बहू को धारा 19 के तहत अपने ससुर से भरण पोषण पाने की हकदार है।

ससुर से भरण-पोषण की मांग की थी

पति की मौत के बाद कोई भी विधवा महिला अपने ससुर से भरण पोषण के लिए वित्तीय सहायता की मांग कर सकती है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पारिवारिक कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया है जिसमें विधवा बहू और 9 साल की पोती को भरण पोषण के लिए वित्तीय सहायता देने के ससुर को निर्देश दिए गए थे। ससुर ने फैमिली कोर्ट के आदेश के विरुद्ध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने पाया कि 40 हजार रूपए पेंशन पाने के साथ ही कृषि भूमि और बड़े मकान का मालिक ससुर वित्तीय सहायता देने में पूरी तरह से सक्षम है।

फैमिली कोर्ट में दायर की थी याचिका

बंग्लापारा तुमगांव जिला रायपुर के स्थानीय निवासी जनकराम साहू के पुत्र अमित साहू की साल 2022 मे मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उसकी पत्नी मनीषा साहू और बेटी टोकेश्वरी के सामने अपने पेट पालने का संकट उत्पन्न हो गया था। मनीषा ने फैमिली कोर्ट सहासुंद में याचिका दायर की थी। जिसमें स्वयं के लिए अपनी बेटी के लिए जीवन निर्वाह के लिए वित्तीय सहायता की मांग अपने ससुर से की थी।


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