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मस्तिष्क के विषाक्त होने का प्रमुख कारण, गंदा दिमाग पैदा करता है ये बीमारियां

रायपुर। मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे ज्यादा उपयोगी अंग है। इसकी सुरक्षा हमारे जीवन की सुरक्षा है, लेकिन हम में से कितने लोग है जो इसका सही इस्तेमाल करते हैं। अधिकांश मनुष्य अज्ञानतावश मस्तिष्क का गलत इस्तेमाल करते हैं और उसकी महान सामर्थ्य के द्वारा मिलने वाले असाधारण से वंचित रह जाते हैं। विष पैदा […]

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toxic brain
  • February 13, 2025 11:42 am Asia/KolkataIST, Updated 1 week ago

रायपुर। मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे ज्यादा उपयोगी अंग है। इसकी सुरक्षा हमारे जीवन की सुरक्षा है, लेकिन हम में से कितने लोग है जो इसका सही इस्तेमाल करते हैं। अधिकांश मनुष्य अज्ञानतावश मस्तिष्क का गलत इस्तेमाल करते हैं और उसकी महान सामर्थ्य के द्वारा मिलने वाले असाधारण से वंचित रह जाते हैं।

विष पैदा करने वाले कारण

मस्तिष्क को विष बना देने वाले कारणों में से एक चिंता है। माना जाता है कि चिन्ता चिता के समान होता है, जो जीवित मनुष्य को शुभ विचारों को जला देते है। चिन्ता के कारण मस्तिष्क में गर्मी बहुत बढ़ जाती है,जिससे सरलता और कोमलता को नष्ट कर देता है। चिंता दाह एवं उष्णता उत्पन्न करती है। चिन्ताशील मनुष्य का मस्तिष्कीय परीक्षण करने पर पाया गया है कि श्वेत बालुका और ग्रे मैटर सूखकर कड़े और ठोस हो जाते हैं। समस्त शरीर का शासन दिमाग द्वारा होता है, जब शासन-कर्ता जीर्ण-शीर्ण हो रहा हो तो राज्य में अव्यवस्था फैल जाना स्वभाविक है।

निर्बल मस्तिष्क का दर्बल शरीर

चिन्ता-ग्रस्त और निर्बल मस्तिष्क वाले शरीर का रोगी और दुर्बल होना स्वाभाविक है। ऐसे मनुष्य अधिक दिन जी सकेंगे, इस पर कौन विश्वास करेगा? जलन, गर्मी और खुश्की के कारण ऑक्सीजन जलता हैं और वे विषाक्त वायु (कार्बन) के रूप में परिवर्तत हो जाते हैं। चिंता के कारण भुनते हुए मस्तिष्क में से विषैले पदार्थों का प्रवेश होता है। वे पदार्थ खून के साथ मिलकर शरीर की अन्य धातुओं को भी जहरीला बना देते हैं।

चिंता से बढ़ती है ये बीमारी

पहले ही दिन वे मंदाग्नि उत्पन्न करते हैं, जिससे अन्य रोगों को बुलाते हुए। अंत में संग्रहणी, मधुमेह, कुष्ठ, क्षय, प्रमेह या ऐसे ही अन्य भयंकर रोगों तक को उत्पन्न करता है। लोग अपनी परेशानी को उस खुर्दबीन शीशे से देखते हैं, जिसमें से छोटी-सी चीज़ कई गुना बड़ी होकर दिखती है।


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