रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजनीति से हटकर एक अनोखा नजारा देखने को मिला। महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए गई थीं। उन्होंने वहां मंत्री से हटकर एक सामान्य महिला का परिचय दिया। मंत्री ने नवविवाहित जोड़ों को शादी की बधाई दी। इसके बाद वह जमीन […]
रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजनीति से हटकर एक अनोखा नजारा देखने को मिला। महिला बाल विकास एवं समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए गई थीं। उन्होंने वहां मंत्री से हटकर एक सामान्य महिला का परिचय दिया। मंत्री ने नवविवाहित जोड़ों को शादी की बधाई दी। इसके बाद वह जमीन पर बैठकर दोना-पत्तल सिलने लगीं।
विवाह समारोह जरही ब्लॉक के राजकिशोर नगर में था। शनिवार को सूरजपुर में कई जगह विवाह कार्यक्रम थे। मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े इन कार्यक्रमों में हिस्सा लेने गई थीं। उन्होंने नए जोड़ों को अपना आशीर्वाद दिया। जरही के राजकिशोर नगर में बिसाहू राजवाड़े के घर पर उनका पारिवारिक व्यवहार था। उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा से दूर लोगों के साथ बैठकर दोना-पत्तल सिलने का काम किया। मंत्री राजवाड़े का यह रूप देखकर लोग चौंक गए।
प्रदेश की एक मंत्री को आम लोगों के बीच इस तरह काम करता देखना एक खुशी देने वाला पल है। मंत्री के इस सहज व्यवहार को देखकर लोग बहुत खुश हुए। यह पल सभी के लिए हमेशा यादगार रहेगा। लक्ष्मी राजवाड़े एक साधारण परिवार से हैं। वह सरगुजा संभाग में ओबीसी महिला चेहरा के रूप में लंबे समय से राजनीति में हैं। उनके काम से प्रभावित होकर पार्टी ने उन्हें भटगांव विधानसभा का टिकट दिया। वह पहली बार में ही चुनाव जीतकर विधायक बन गईं।
इसके बाद उन्हें मंत्री पद भी मिल गया। लक्ष्मी राजवाड़े सरगुजा जिले के बीरपुर गांव की रहने वाली हैं। इससे पहले, वह जिला पंचायत सदस्य भी रह चुकी हैं। लक्ष्मी राजवाड़े ने अपने पहले ही चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता को हराकर जीत दर्ज की। भटगांव विधानसभा सीट पर 2003 में कांग्रेस पार्टी के हरिदास भारद्वाज ने चुनाव जीता था। उसके बाद, 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रविशंकर त्रिपाठी चुनाव जीतकर विधायक बने।
रविशंकर के निधन के बाद, उनकी पत्नी को उपचुनाव में उतारा गया, जिसमें वह जीतीं और विधानसभा पहुंचीं। 2013 और 2018 के चुनाव में लगातार दो बार भटगांव सीट से विधायक रहने के बाद, 2023 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मी राजवाड़े ने उन्हें हराया और वह विधायक बनीं।