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छत्तीसगढ़ में भव्य है माता का यह मंदिर, दर्शन मात्र से भक्तों की होती है मनोकामना पूरी

रायपुर : देश भर में बड़े ही धूमधाम से चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। इस बीच आज हम बात करने वाले है छत्तीसगढ़ में स्थित माता का मंदिर जहां का एक अलग ही पहचान है। बता दें प्रदेश में मां भगवती के अलग-अलग रूपों में विरजामन कई शक्तिपीठ और सिद्धिपीठ हैं. ऐसे […]

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temple of Mata
  • April 12, 2024 8:11 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

रायपुर : देश भर में बड़े ही धूमधाम से चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। इस बीच आज हम बात करने वाले है छत्तीसगढ़ में स्थित माता का मंदिर जहां का एक अलग ही पहचान है। बता दें प्रदेश में मां भगवती के अलग-अलग रूपों में विरजामन कई शक्तिपीठ और सिद्धिपीठ हैं. ऐसे में हम आपको राजधानी रायपुर में स्थित श्री राजराजेश्वरी मां महामाया देवी के बारे में बताएंगे।

आज से 1400 साल बना था मंदिर

बता दें कि राजधानी रायपुर के पुरानी बस्ती में आदि शक्तिपीठ के रुप में श्री राजराजेश्वरी मां महामाया देवी मंदिर स्थित है। जो सभी भक्तों का आस्था का केंद्र माना जाता है. इस मंदिर को ‘हैहयवंशी’ राजा ने 1482 में बनवाया था, मंदिर निर्माण के सबूत के तौर पर संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग द्वारा तैयार किए गए गजट में देखने को मिलता है।

ये हैं मंदिर के रहस्य

मंदिर के पुजारी मंदिर को लेकर बताते है कि यह छत्तीसगढ़ के 36 शक्तिपीठों या प्रदेश में स्थित 36 किलों में से एक है. इसके बाद पुजारी ने यह भी कहा कि आज से 1400 वर्ष पहले हैहयवंशी राजा मोरध्वज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में मां महामाया के साथ मां समलेश्वरी की भी पूजा होती हैं. सबसे अहम बात यह है कि सूर्यास्त के दौरान सूर्य की किरणें मां महामाया के चरणों को छूती हैं।

प्रदेश में हैं 36 गढ़

पुरातत्व विभाग ने महामाया मंदिर परिसर में स्थित मां समलेश्वरी माता मंदिर को आठवी शताब्दी का मंदिर बताया गया है. बताया गया है कि यह मंदिर हैहयवंशी राजाओं की कुलदेवी है. जहां जहां हैहयवंशी राजाओं ने अपना महल बनाया वहां उन्होंने कुलदेवी भगवती मां महामाया देवी को जगह दिया . इस वजह से छत्तीसगढ़ का नामकरण भी इनके द्वारा निर्माण किए गए गढ़ अर्थात किला से हुआ. छत्तीसगढ़ में 36 किले यानी 36 गढ़ हैं और वहां मां महामाया देवी का मंदिर स्थित है.


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