रायपुर। देश भर में फेस्टिव सीजन की शुरआत हो चुकी है। ऐसे में रविवार को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र के साथ आयुष्मान और सौभाग्य योग के विशेष संयोग के दौरान दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। इस अवसर पर 5 राजयोग के साथ 8 शुभ संयोग भी बन रहेंगे। लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या होने […]
रायपुर। देश भर में फेस्टिव सीजन की शुरआत हो चुकी है। ऐसे में रविवार को कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर स्वाति नक्षत्र के साथ आयुष्मान और सौभाग्य योग के विशेष संयोग के दौरान दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। इस अवसर पर 5 राजयोग के साथ 8 शुभ संयोग भी बन रहेंगे। लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या होने से स्थिरलग्न व स्थिर नवांश में होगा। इस दिन राजस्थान में प्रदोषकाल शाम 5 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। वहीं शाम 5 बजकर 50 मिनट से 7 बजकर 47 मिनट तक वृषभ लग्न रहेगा। वहीं मध्यरात्रि 12 बजकर 20 मिनट से रात 2 बजकर 36 मिनट तक सिंह लग्न रहेगा।
आपको बता दें कि ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया है कि स्वाति नक्षत्र का दीपोत्सव पर विशेष संयोग बन रहा है, इसकी शुरुआत शनिवार रात एक बजकर 47 मिनट पर होगा, जो रविवार को दिवाली के दिन रात 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दौरान मां लक्ष्मी का पूजन श्रेष्ठ बताया गया है। बता दें कि दिवाली के दिन आयुष्मान और सौभाग्य योग का भी संयोग बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया है कि रविवार को शाम 06:02 से 06:15 बजे तक लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है, इस समय प्रदोषकाल, स्थिर वृषलग्न तथा कुम्भ का नवांश भी दिखेगा। इस कारण वह बताते है कि इस सर्वश्रेष्ठ समय में लक्ष्मी पूजन करना सुख-समृद्धि का प्रतिक होगा।
शाम 06:02 से 06:15 बजे तक लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ समय बताया गया है। शाम 05:34 से रात 08:13 बजे तक प्रदोष काल रहेगा।
शाम 05:50 से 7:47 बजे तक वृषलग्न और
सिंह लग्न मध्यरात्रि 12:20 बजे से अंतरात्रि 02:36 बजे तक रहेगा।
चौघड़िए -समय
लाभ और अमृत – सुबह 9.29 से दोपहर 12.11 बजे तक
शुभ – दोपहर 1.32 से 2.52 बजे तक
शुभ, अमृत और चर का चौघड़िया – शाम 05:34 से रात 10:32 बजे तक, लाभ का चौघड़िया मध्यरात्रि 01:50 से अंतरात्रि 3:30 बजे तक
इस साल दीपावली पर ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि एक साथ 3 शुभ योग और 5 राजयोग का संयोग बन रहा है, इस साल के दिवाली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नामक योग बन रहे है। शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण इन राजयोगों का निर्माण हो रहा है। आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी लक्ष्मी पूजा के समय बनेंगे। शुभ योगों की ऐसी स्थिति पिछले 700 सालों में दीपावली पर नहीं बनी है। इतने शुभ संयोग बनने के कारण यह दिवाली सुख-समृद्धि से भरपूर होगा।
वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग को ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया है कि यह योग सम्मान और लाभ देने वाला माना जाता है। धन लाभ, संपत्ति और प्रतिष्ठा हर्ष योग बढ़ता है। स्थिरता और सफलता काहल योग देता है। वहीं, आर्थिक संपन्नता उभयचरी योग से बढ़ती है। शांति और शुभता दुर्धरा योग बढ़ाता है। वहीं दीपावली पर कई सालों बाद दुर्लभ संयोग भी देखने को मिल रहा है।
ज्योतिषाचार्य बताते है कि दीपावली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि दीपावली की रात में मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपनी कृपा बरसाती हैं। इस अवसर पर दीपावली के दिन श्रीसूक्त एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करना अच्छा माना जाता है।