Advertisement
  • होम
  • त्योहार
  • Chhath Puja 2023: छत्तीसगढ़ में छठ की धूम, जानें इस महापर्व का महत्त्व

Chhath Puja 2023: छत्तीसगढ़ में छठ की धूम, जानें इस महापर्व का महत्त्व

रायपुर। छठ पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इस पर्व को खास कर उत्तर भारत के विभिन्न जगहों में महापर्व के तौर पर लोग मनाते है. इस त्योहार पर छठी मां की पूजा की जाती है. यह त्योहार छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश और देशभर में हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की […]

Advertisement
Chhath celebrated in Chhattisgarh
  • November 15, 2023 2:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

रायपुर। छठ पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. इस पर्व को खास कर उत्तर भारत के विभिन्न जगहों में महापर्व के तौर पर लोग मनाते है. इस त्योहार पर छठी मां की पूजा की जाती है. यह त्योहार छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश और देशभर में हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इसका सबसे बड़ा आयोजन राजधानी रायपुर में, महादेवघाट पर होता है. बता दें कि इस पूजा में घाट के आसपास लगभग एक किलोमीटर तक पूजन के लिए वेदियां बनाई जाती हैं और इस अवसर पर अर्घ्य देने का विशेष महत्व माना जाता है.

सूर्यदेव की विशेष पूजा होती है

तमाम ज्योतिषाचार्य के अनुसार छठ पूजा में सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है और भारत के बिहार राज्य के अलावा इस पर्व को उत्तर प्रदेश, झारखंड में भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग कुछ साल से छत्तीसगढ़ में जीविकोपार्जन के लिए रह रहे हैं, जिससे उस राज्य में भी छठ पूजा की परंपरा फ़ैल गई है. छठ पर्व पर अपने संतान के दीर्घायु, सुखमय जीवन के लिए माताएं उपवास रखती हैं और बता दें कि इस त्योहार को 4 दिन तक मनाया जाता है. इस पर्व की शुरुआत पहले दिन नहाय खाय की परंपरा से होती है.

छठ पर्व के दूसरें दिन करें ऐसा

चावल की खीर का भोग छठ पर्व के दूसरे दिन भगवान को अर्पित किया जाता है और नहाय खाय के दिन लौकी की सब्जी बनाई जाती है. व्रती भगवान सूर्यदेव को तीसरे दिन अर्घ्य देने के लिए तैयारी करते हैं. इस दिन को पहली घाट कहा जाता है, पहली घाट पर डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. भोग में विभिन्न प्रकार के ठेकवा, फल आदि चढ़ाए जाते हैं और सभी परिवार एक साथ मिलकर घाट पर सूर्यदेव को अर्घ्य देते है. बता दें कि इसके अगले दिन, सूर्योदय के दौरान उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है और इस प्रकार से छठ पूजा की विधि पूरी होती है.


Advertisement