रायपुर। इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सक्रिय मोड पर नजर आ रही है. सरगुजा यानी छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग हैं. जिसमें सत्ता का समीकरण छिपा होता है. सरगुजा संभाग के अंतर्गत 5 जिले आते हैं. जिनमें अम्बिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया और जशपुर […]
रायपुर। इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सक्रिय मोड पर नजर आ रही है. सरगुजा यानी छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग हैं. जिसमें सत्ता का समीकरण छिपा होता है. सरगुजा संभाग के अंतर्गत 5 जिले आते हैं. जिनमें अम्बिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया और जशपुर जिले है. इन सभी जिलों में कुल 14 विधानसभा सीटें है. लेकिन इस बार भी ये सीटें सत्ता की राह तय करेंगी।
सरगुजा संभाग में विधानसभा सीटों की संख्या 14 हैं. इनमें से 9 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. लेकिन चौँकाने वाली बात यह है कि जो आदिवासियों के लिये आरक्षित सीटें नहीं हैं वहां भी एसटी (ST) वोटर एक्स फैक्टर के रूप में काम करते आए हैं. इनमें से सामरी, रामानुजगंज, भरतपुर-सोनहत, लुंड्रा और सीतापुर जैसी कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां जंगल के अंदरूनी हिस्सा होने की वजह से विधायक का चेहरा जल्दी स्थापित नहीं हो पाता है. ये विधानसभा सीटें ग्रामीणों के लिए आज भी अनजान हैं।
छत्तीसगढ़ के उतरी इलाके वाले सरगुजा सहित सूरजपुर और बलरामपुर जिले की 8 विधानसभा सीटें यहां की राजनीति में हमेशा निर्णायक रही हैं. हो भी क्यों न? क्योंकि सरगुजा संभाग के सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. इतना ही नहीं इस बार विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को उम्मीद है कि वह ये सभी सीटें बचा लेगी, जबकि भाजपा को उलटफेर के आसार हैं। दोनों दलों से उम्मीदवार मैदान में उतारे जा रहे हैं। कहीं मंत्री-विधायकों के सीटें बदलने की चर्चा है तो कहीं कुछ सीटिंग एमएलए को ड्रॉप करने का शोर भी. सबसे गौरतलब की बात है अभी तक सीतापुर सीट बीजपी कभी नहीं जीत पाई है।
जशपुर, प्रतापपुर, सीतापुर, कुनकुरी, सोनहत-भरतपुर, भटगांव, रामानुजगंज, प्रेमनगर, सामरी, लुंड्रा, पत्थलगांव, मनेन्द्रगढ़, बैकुंठपुर, अंबिकापुर सीट हैं।