रायपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट कर दिया। इस घटना को 2 मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए है। एक मजदूर के पैर के चिथड़े उड़ गए है। घायल मजदूरों को इलाज के लिए नारायणपुर जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां एक मजदूर की मौत हो गई। दूसरे घायल की […]
रायपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सलियों ने आईडी ब्लास्ट कर दिया। इस घटना को 2 मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए है। एक मजदूर के पैर के चिथड़े उड़ गए है। घायल मजदूरों को इलाज के लिए नारायणपुर जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां एक मजदूर की मौत हो गई। दूसरे घायल की हालत गंभीर बनी हुई है।
नक्सलियों ने आमदई लौह माइंस के पास जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रेशर IED प्लांट कर स्थापित किए थे, जिसकी चपेट में मजदूर आ गए और यह हादसा हो गया। यह मामला छोटे डोंगर थाना क्षेत्र का है। एक साल पहले भी आमदई माइंस के पास भी आईईडी ब्लास्ट में भी 2 मजदूरों की मौत हो गई थी। जिसके बाद नक्सलियों ने कहा था कि अभी तो केवल एक ही बम फटा है, आगे और भी बम फटेंगे। चारों ओर बारूद बिछा हुआ है। जानकारी के मुताबिक, नक्सलियों ने आमदई माइंस जाने वाले रास्ते में पहले से ही IED बम लगा रखे थे।
शुक्रवार की सुबह गांव के 2 मजदूर दिलीप कश्यप और हरेंद्र नाग माइंस किसी काम से माइंस की ओर जा रहे थे। इसी बीच यहां नक्सलियों की लगाई IED में मजदूरों का पैर आ गया और जोर का धमाका हुआ। धमाके में एक मजदूर का पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं उस इलाके से गुजर रहे अन्य मजदूरों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। जिसके बाद मौके पर जवान पहुंचे और दोनों मजदूरों को छोटे डोंगर के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
डोंगर के अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद दोनों मजदूरों को बेहतर इलाज के लिए नारायणपुर के अस्पताल में रेफर कर कदिया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही दिलीप कश्यप ने दम तोड़ दिया। इस घटना के बाद नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी किया। प्रेस नोट में लिखा कि नारायणपुर के आमदई माइंस के चारों तरफ बारूद बिछा हुआ है। पहाड़ के ऊपर से लेकर नीचे तक पुलिस कैंप के आस-पास सैकड़ों बम प्लांट किए गए हैं।
बारूद फोर्स के लिए लगाया गया था, लेकिन मजदूर उसकी चपेट में आ गए। नक्सलियों ने कहा था कि यहां करीब 6 पुलिस कैंप बिठाए गए हैं। हर दिन 400 से 500 गाड़ियों से ढुलाई की जा रही है। आसपास के गांव के लगभग 400 लोग यहां काम करने के लिए आते हैं। हर मजदूर को 550 रुपए दिए जा रहे हैं, जो दिनभर डंडा लेकर खड़े रहते हैं। पैसों का लालच देकर इन्हें मौत के मुंह में धकेला जा रहा है।