रायपुर। सर्व आदिवासी समाज के आह्वान पर छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला शनिवार को बंद रहा. बता दें, जिले के ताड़मेटला में हुई मुठभेड़ की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग को लेकर समाज के लोग जिला बंद का ऐलान किया था. इस दौरान बड़ी संख्या में समाज के पदाधिकारी और सदस्य के अलावा अन्य लोग मौजूद थे।
समाज ने सीएम को पत्र लिखा
जानकारी के मुताबिक आज शनिवार को बंद का असर पूरे जिले में दिखा. बता दें कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के ताड़मेटला और दूलेड गांव के जंगल में सुरक्षाकर्मियों ने मुठभेड़ में दो इनामी नक्सलियों को मार गिराने का दावा किया. पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी 5 सितंबर को दी. लेकिन इस एनकाउंटर को गांव के लोग, सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेता फर्जी बता रहे हैं. इतना ही नहीं इस संबंध में आदिवासी समाज की तरफ से सीएम भूपेश बघेल को भी पत्र लिखा गया है।
साक्ष्य को छिपाने की कोशिश
जानकारी के मुताबिक सर्व आदिवासी समाज ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस पर कई आरोप लगाए हैं. आदिवासी समाज का कहना है कि पुलिस अपनी प्रमोशन पाने के लिए भोले-भाले लोग या जंगल किनारे बसे आदिवासियों को मारकर नक्सली करार देना चाहती है. पुलिस ने गांव के लोगों को मृतक के शव का अंतिम संस्कार भी आदिवासी रीति-रिवाज से नहीं करने दिया. इसके बाद आदिवासी समाज के लोगों ने अधजले शव को दूसरे दिन अपने रीति रिवाज से जलाया था. उन्होंने कहा कि परिवार वालों को शव नहीं सौंपने की यह पहली घटना है. इसके बाद साक्ष्य को छिपाने की कोशिश भी की गई।
एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा की मांग
सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने सीएम भूपेश को पत्र भी लिखा है. जिसमें आरोप लगाया है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ है. उन्होंने बताया कि पुलिस ने दोनों ग्रामीणों पर एक-एक लाख का इनाम रखा है. जबकि इन दोनो का सुकमा दोरनापाल और चिंतलनार आना जाना रहता था, समाज के लोगों का कहना है कि इन दोनों को पहले क्यों नही पकड़ा गया. जिन्हें पुलिस आज नक्सली घोषित कर रही है, दोनों ग्रामीणों में से एक ड्राइवर है और वह पुलिस वाले के घर ट्रैक्टर भी चलाता था, अगर वह नक्सली है तो उस वक्त उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई. सर्व आदिवासी समाज ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से ताड़मेटला मुठभेड़ की उच्च स्तरीय जांच कराते हुए दोषियों के विरुद्ध अपहरण, हत्या, साक्ष्य छुपाने और आदिवासी परंपरा के विरुद्ध शव को जलाने का मामला पंजीबद्ध कर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. साथ ही मृतक परिवार को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा एवं उनके परिवार से एक को सरकारी नौकरी देने की मांग की है।