Friday, November 8, 2024

CG Election 2023: वो सीट जो कभी नहीं जीत पाई BJP, जानें क्या है चुनावी रणनीति

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सक्रिय मोड पर नजर आ रही है. छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग यानी सरगुजा संभाग के एक विधानसभा सीट जहां बीजेपी एक बार भी नहीं जीत पाई है. जिसमें सत्ता का समीकरण छिपा होता है।

सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा

सरगुजा संभाग के अंतर्गत 5 जिले आते हैं. जिनमें अम्बिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया और जशपुर जिले हैं. इन सभी जिलों में टोटल 14 विधानसभा सीटें है. ये सभी 14 सीटों पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन सबसे खास बात यह कि इस सीटों में से एक सीट ऐसी है जहां बीजेपी अभी तक एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई है. वो सीतापुर विधानसभा सीट है. बता दें, सीतापुर विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की एक सीट है. सरगुजा लोकसभा सीट का हिस्सा है, जो उत्तर इलाके में पड़ता है. इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 170963 है. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अमरजीत भगत ने 70217 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने विरोधी को 17855 मतों के अंतर से हराया था. जबकि दूसरा स्थान (52362) वोटों के साथ बीजेपी के उम्मीदवार राजा राम भगत को मिला. वहीं तीसरा स्थान की बात करे तो 5996 वोटों के साथ – नोटा का रहा. जबकि 3887 वोटों के साथ IND को चौथा स्थान मिला था।

कांग्रेस का अभेद्य गढ़ माना जाता है सीतापुर

साल 2018 विधानसभा चुनाव में सीतापुर में कुल 141756 मत पड़े थे. जबकि 82.92 प्रतिशत मतदान हुआ था. बता दें, सीतापुर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का अभेद्य गढ़ माना जाता है. भाजपा यहां से कभी चुनाव नहीं जीत पाई है. छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी बीजेपी यहां मजबूत और जिताऊ उम्मीदवार तैयार नहीं कर सकी. इस चुनाव में भी भाजपा के पास सीतापुर के लिए सर्वमान्य उम्मीदवार की तलाश आसान नहीं है. स्थानीय स्तर पर जितने भी नाम हैं वे सब के सब वर्तमान विधायक और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के कद के आगे सब बौने नजर आते हैं. हालांकि मतदाता कब, किसे पटखनी दे दे, कुछ कहा नहीं जा सकता। लेकिन सीतापुर के लिए मजबूत उम्मीदवार की तलाश में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने सालों से कांग्रेस से जुड़े अनिल निराला को अपने साथ मिलाकर नया चुनावी रणनीति समीकरण बैठाने की तैयारी की है। हर साल की तरह इस बार भी ये सीटें सत्ता की राह तय करेंगी।

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