रायपुर। चार जुलाई यानी कल से सावन मास शुरू हो रहा है. इस दौरान बाबा भोलेनाथ के भक्तों की भीड़ शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए उमड़ेगी. बता दें, सावन माह को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थित भोरमदेव मंदिर को बचाने की कोशिश शुरू हो गई है. गौरतलब है कि इस मंदिर को ‘छत्तीसगढ़ का खजुराहो’ के नाम से जाना जाता है।
सुदृढ़ीकरण और रेलिंग काम का पूरा
कबीरधाम में स्थित भोरमदेव मंदिर के अस्तित्व पर बरसात के दिनों में बारिश के दौरान छत और दीवारों से पानी रिसने लगता है. लेकिन इस बार सावन माह को देखते हुए मंदिर में पहुंची पुरातत्व और संस्कृति विभाग की टीम ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर को मजबूत और संरक्षित करने के लिए टेक्निकल तरीके से काम किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने बताया कि मंदिर की नींव सुदृढ़ीकरण और रेलिंग काम को पूरा कर लिया गया है. लेकिन अब मंदिर के अंदर हो रहे पानी के रिसाव को रोकने का काम किया जा रहा है. इसके लिए बंगाल के कुशल कारीगर मंडप की छत के ऊपर प्लास्टर कर रहे हैं।
रिसाव का परीक्षण किया जाएगा
मंदिर में मौजूद लोगों ने बताया कि मंदिर में हो रहे रिसाव को रोकने के लिए पहले भी प्लास्टर किया गया था, लेकिन वो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका था. बंगाल के कारीगरों ने सबसे पहले पुराने प्लास्टर को हटाकर साफ किया और उसे मूल रूप में लेकर आए. मंडप की छत का मूल रूप प्राप्त होने के बाद इसकी सफाई कर उसमे पुरानी पुरातत्व विधि से चूना, गुड़, बेल, कत्था, मेथी, सुरखी इत्यादि को मिलाकर आवश्यकता अनुसार ढाल बनाते हुए वाटर प्रूफिंग का कार्य किया जा रहा हैं. मिश्रण छत पर डालने के बाद विशेषज्ञ कारीगर स्पेशल लकड़ी के औजार से उसकी कुटाई करेंगे। उसे उस स्थिति तक लेकर जाएंगे कि उसमें हवा नहीं निकल जाए. इसके बाद छत पर पानी भरकर रिसाव का परीक्षण किया जाएगा।