रायपुर। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान ईडी से कहा कि दहशत का माहौल न बनाएं। प्रदेश में दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाले से संबधिंत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीएम भूपेश बघेल को आरोपी बनाया गया है. राज्य सरकार के जस्टिस एस के कौल और जस्टिस ए अमानुल्लाह की पीठ के सामने आरोप लगाया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अफसरों ने शिकायत की है कि ED उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को पकड़ने की धमकी दे रहा है. इतना ही नहीं सीएम भूपेश को फंसाने का प्रयास कर रहा है।
डर का माहौल न बनाएं
सरकार के मुताबिक पता चला है कि अधिकारी लोग विभाग में काम नहीं करेंगे. छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि ED बौखलाया हुआ है. जिस वजह से वे आबकारी अधिकारियों को गिरफ्तार करने के लिए धमकी दें रहे हैं. साथ ही उन्होंन पीठ से कहा कि यह स्थिति बेहद चौंकाने वाली है. अब प्रदेश में कुछ ही महीनों के बाद चुनाव होने वाला है इसलिए यह सब हो रहा है. ED की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि एजेंसी प्रदेश में एक घोटाले की जांच-पड़ताल कर रही है. इसके बाद पीठ ने कहा कि जब आप इस तरह का व्यवहार करते है तो एक सच्चाई कारण भी संदेहजनक हो जाता है. इसलिए डर का माहौल न बनाएं।
सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार
पिछले महीने छत्तीसगढ़ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाला पहला स्टेट बन गया, जिसमें गैर बीजेपी राज्य सरकारों के विरोध में केंद्रीय जांच एजेंसियों का सामान्य कामकाज को धमकाने और परेशान करने के लिए दुरुपयोग करने का आरोप लगाय गया था. सीएम भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत कानून को चुनौती देते हुए वकील सुमीर सोढ़ी के द्वारा एक मूल मुकदमा दायर किया है, जो किसी राज्य को केंद्र या किसी अन्य राज्य के साथ विवाद के मामलों में सीधे सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार देता है. सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ के दो सख्स द्वारा एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से एक व्यक्ति को ED ने मामले के संबंध में गिरफ्तार किया है, जिसने ED के कार्रवाई को चुनौती दी है।