रायपुर। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रत होता है क्योंकि इसमें पानी पीना भी वर्जित होता है। मान्यताओं के मुताबिक पांडवों में भीमसेन ने भी निर्जला एकादशी का व्रत रखा था। जिस कारण से इसे भीमसेनी एकादशी भी […]
रायपुर। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रत होता है क्योंकि इसमें पानी पीना भी वर्जित होता है। मान्यताओं के मुताबिक पांडवों में भीमसेन ने भी निर्जला एकादशी का व्रत रखा था। जिस कारण से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से सभी एकादशियों के बराबर फल मिलता है।
यह व्रत धर्म और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत रखने से आपको अच्छा स्वास्थ्य भी मिलता है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक एकादशी तिथि की शुरुआत 6 जून की रात में 2 बजकर 15 मिनट पर होगी। वहीं इसकी समाप्ति 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगी। उदयातिथि के मुताबिक 6 जून को ही निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाएगा। ऐसे में निर्जला एकादशी व्रत का पारण 7 जून को होगा। व्रत का पारण करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट तक का है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें। उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। साथ ही श्री हरि और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। किसी गरीब को जल, अन्न या किसी वस्तु का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। जरूरत पड़ने पर इस दिन जल या फल का सेवन कर सकते हैं। सुबह और शाम के समय अपने गुरु या भगवान विष्णु की आराधना करें। संभव हो तो रात के समय जागरण करें। इस दिन ज्यादा से ज्यादा समय मंत्र जाप करने और ध्यान में लगाएं। जल के पात्र का दान करना विशेष शुभ होता है।