Advertisement
  • होम
  • क्राइम
  • सरकारी नौकरी का झांसा देकर ठगे लाखों रुपए, पीड़ितों को थमाया फर्जी चेक

सरकारी नौकरी का झांसा देकर ठगे लाखों रुपए, पीड़ितों को थमाया फर्जी चेक

रायपुर। सरकारी नौकरी का सपना देखने वाले पांच लोगों को दो ठगों ने अपना शिकार बना लिया। इन 5 लोगों का न केवल उनका सपना तोड़ा गया, बल्कि उनकी सालों की कमाई भी ठगों ने हड़प ली। यह मामला खैरागढ़ जिले के गंडई थाना क्षेत्र का है। जहां सरकारी नौकरी का झांसा देने वाले 2 […]

Advertisement
Lakhs of rupees were cheated on the pretext of government job
  • May 1, 2025 5:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 hours ago

रायपुर। सरकारी नौकरी का सपना देखने वाले पांच लोगों को दो ठगों ने अपना शिकार बना लिया। इन 5 लोगों का न केवल उनका सपना तोड़ा गया, बल्कि उनकी सालों की कमाई भी ठगों ने हड़प ली। यह मामला खैरागढ़ जिले के गंडई थाना क्षेत्र का है। जहां सरकारी नौकरी का झांसा देने वाले 2 आरोपियों को पुलिस ने बलौदाबाजार से गिरफ्तार किया है।

रायपुर में हुई आरोपी से मुलाकात

दो आरोपियों ने शिक्षक, चपरासी और लेबर इंस्पेक्टर जैसे पदों पर नौकरी दिलाने का लालच देकर लोगों से कुल ₹37 लाख 67 हजार 900 रुपए की ठगी को अंजाम दिया है। यह मामला तब शुरू हुआ जब पांडातराई निवासी संतोष देवांगन जीवन दीप कर्मचारी कल्याण संघ के कोषाध्यक्ष थे। तब वह संगठन के पंजीयन कार्य से रायपुर गए थे। वहां उनकी मुलाकात बिशेसर ध्रुव नाम के व्यक्ति से हुई। बिशेसर ने स्वयं को मंत्रालय से संबंधित प्रभावशाली लोगों से संपर्क वाला बताते हुए दावा किया कि वह कई लोगों को सरकारी नौकरी दिलवा चुका है।

इन पदों पर दिया था नौकरी दिलाने झांसा

वह संतोष की भी नौकरी लगवा सकता है। आरोपी ने लेबर इंस्पेक्टर के लिए ₹20 लाख, टीचर पद के लिए ₹15 लाख और चपरासी के लिए ₹8 लाख रुपए की मांग की। संतोष देवांगन ने यह प्रस्ताव अपने परिवार को बताया। इस बातचीत में परिवार वाले इस योजना से प्रभावित हुए और नौकरी पाने की उम्मीद में उसे पैसे दे दिए। 25 दिसंबर 2022 को गंडई में संजू के घर सभी इकट्ठा हुए। बिशेसर ने सभी को छह महीने में नौकरी लगवा देने का भरोसा दिलाया।

37 लाख की ठगी को दिया अंजाम

इतना ही नहीं, इसके बाद अलग-अलग तारीखों में सभी ने मिलकर बिशेसर और उसके साथी भुवनेश देवांगन को मिलाकर कुल ₹37 लाख 67 हजार 900 रुपये दे दिए। इस रकम में कुछ राशि ऑनलाइन भी ट्रांसफर की गई और कुछ कैश। जब समय बीतने के बाद भी किसी की नौकरी नहीं लगी, तब संदेह गहराया। संतोष ने जब पैसा वापस मांगा, तो आरोपी बिशेसर ने उसे दो चेक थमा दिए। इसी तरह सभी को चेक थमा दिए गए, लेकिन ये चेक भी नकली थे। न रकम वापस मिली और न ही कोई नियुक्ति पत्र।

अपना अपराध कबूल लिया

आखिरकार 27 अप्रैल 2025 को संतोष देवांगन ने इस मामले की शिकायत थाने में दर्ज कराई। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला पुलिस अधीक्षक त्रिलोक बंसल ने थाना गंडई पुलिस और साइबर सेल की टीम गठित की। कार्रवाई करते हुए टीम ने बलौदाबाजार से दोनों आरोपियों को पकड़ लिया। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में दोनों ने अपने अपराध को माना।


Advertisement