रायपुर। पिछले साल यानी 2023 में 2,16 हजार,219 भारतीयों ने अपनी नागरिकता त्याग दी है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने राज्यसभा में दी। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पिछले पांच सालों (2019-23) में अपनी नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या के बारे में लिखित जवाब दिया है। उन्होंने साल 2011 से 2018 के भी सभी आंकड़े राज्यसभा में पेश किए।
नागरिकता को लेकर पूछे सवाल
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने नागरिकता त्यागने वाले भारतीयों के आंकड़े देते हुए कहा कि साल 2023 की तुलना में 2022 में 2,25 हजार,620 लोगों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी थी। आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने सरकार से यह सवाल पूछा था। उन्होंने पूछा क्या सरकार ने ‘बड़ी संख्या में लोगों के नागरिकता त्यागने’ और ‘भारतीय नागरिकता की कम स्वीकार्यता’ के पीछे के कारणों की जांच की है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या बड़ी संख्या में नागरिकता त्यागने की वजह से होने वाले “वित्तीय और बौद्धिक नुकसान” का कोई आकलन किया गया है। आप सांसद के सवाल का जवाब देते हुए विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि नागरिकता त्यागने या लेने का फैसला व्यक्तिगत होता है।
अवसरों की कमी है-मुख्य कारण
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ज्ञान और अर्थव्यवस्था के युग में वैश्विक कार्यस्थल की क्षमता को पहचानती है। इससे भारतीय प्रवासियों के साथ अपने जुड़ाव में भी परिवर्तनकारी बदलाव आए हैं। उन्होंने कहा कि एक सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी भारतीय समुदाय देश के लिए एक संपत्ति है। बता दें कि लोग बेहतर नौकरी, रहन-सहन और अच्छी लाइफस्टाइल के लिए दूसरे देशों की नागरिकता लेते हैं। साथ ही लोग अपने देश में अवसरों के अभाव के कारण भी
लोग नागरिकता छोड़ रहे हैं।