रायपुर : गरियाबंद जिले में मलेरिया के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को बड़ा झटका लगा है। जिला अस्पताल में भर्ती मलेरिया के 40 मरीजों में से 20 मरीज इलाज बीच में छोड़कर भाग गए। मरीजों में ज्यादातर बच्चे हैं, जिन्हें उनके माता-पिता ही ले गए हैं। अब इन मरीजों को ढूंढकर वापस भर्ती करने की कोशिश की जा रही है।
19 जुलाई को भर्ती हुए मलेरिया के 40 मरीज
गरियाबंद जिला अस्पताल में 19 जुलाई को मलेरिया के 40 गंभीर मरीज भर्ती थे, जिनका इलाज चल रहा था। सभी मरीज मैनपुर ब्लॉक के बताये गए थे, जिनमें से 20 मरीज 20 जुलाई की रात भाग गए। भागने वालों में शामिल 14 मरीजों की उम्र एक साल से लेकर 10 साल तक है। घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने मलेरिया नोडल अफसर के साथ मैनपुर प्रशासन को सूचना दे दी है।
खेती के बहाने छुट्टियों की मांग
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ मनीष पिल्लई ने मलेरिया पॉजिटिव आंकड़ों की पुष्टि करते हुए कहा कि कोई भी अस्पताल पीड़ितों को भर्ती करना नहीं चाह रहा था। जांच के बाद जिले के अस्पतालों में अभियान चलाया गया। और पीड़ितों को भर्ती कराया गया। वहीं कुछ बच्चों के माता-पिता खेतों में काम करने के बहाने बार-बार छुट्टी की मांग कर रहे थे।
इलाज बीच में छोड़ना बन सकता है जानलेवा
पीएफ पॉजिटिव होने का बाद पीड़ितों का इलाज कराया जा रहा था। वायरस खत्म होने में समय लगता है। सभी पीड़ितों का 4 से 5 दिन तक डॉक्टर की निगरानी में इलाज कराया जाना था। लेकिन इस बीच इलाज छोड़कर भागना मरीजों के लिए जानलेवा हो सकती है। इससे प्रभावित लोगों के कारण गांवों में मलेरिया का खतरा भी पैदा हो गया है।