Saturday, July 27, 2024

अगर आपके अंदर भी है ये आदतें तो जल्द करें ठीक, नहीं तो हो सकते है ग्रह दोष के शिकार

रायपुर : इंसानी जीवन में ज्योतिष शास्त्र को बहुत महत्व दिया जाता है। साथ में यह भी कहा जाता है कि अगर आपके अंदर बुरी आदतें है तो ऐसे में आप हमेशा मानसिक तौर पर परेशान रहते होंगे। क्योंकि बुरी आदतें हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ मानशिक स्थिति को भी प्रभावित करती ही हैं. बुरी आदतें एक अभिशाप की तरह है जो आपके जीवन की खुशियों को छीन लेता है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि कुंडली में ग्रहों की स्थिति के साथ व्यक्ति की कुछ आदतें जीवन की उन्नति में रूकावट बन सकती है. इसके लिए सभी व्यक्ति को अपनी डेली रूटीन में कुछ आदतों पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है।

कुछ आदतों को छोड़ने से परेशानी होगी दूर

दरअसल, हिंदू शास्त्रों में बुरी आदतें को ग्रह दोष उत्तपन्न करने का कारण बताया गया है। जिस वजह से लोगों को जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. यहां तक की जातकों के बनते हुए काम भी बिगड़ सकते हैं. तो चलिए ऐसे में विस्तार से जानते हैं कि किन बुरी आदतों की वजह से ग्रह दोष की स्थिति उत्पन्न होती है।

शराब का सेवन करने से बचें

दरअसल, कुछ ज्योतिष इसको लेकर बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर व्यक्ति में मदिरा पीने की आदत है तो यह ग्रह दोष की वजह बन सकती है. दरअसल ऐसा बताया गया है कि शराब के नशे में युवक गरीबों को सताता है और उसके साथ बुरा व्यवहार भी करता है. ऐसा करने से कुंडली में शनि ग्रह कमजोर हो जाता है. इसके साथ ही यदि किसी युवक की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही हो तो उसे कभी भी शराब नहीं पीना चाहिए.

सुबह जल्दी छोड़े बिस्तर

साथ ही शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि अगर आप सुबह देर से बिस्तर छोड़ते हैं तो यह भी ग्रह दोष की सबसे बड़ी वजह बन सकती है. माना जाता है कि जो लोग सुबह में देरी से उठते है, उनकी कुंडली में सूर्य दोष को उत्तपन्न करने का काम करता है.

गुरु का अपमान करने से बचें

माना जाता है कि अगर आपके अंदर बड़ों या फिर गुरु का अपमान करने की आदत है तो यह भी कुंडली में ग्रह दोष की वजह बन सकती है. दरअसल यह कुंडली में गुरु दोष को उत्पन्न करने का काम करती है. यदि युवक की कुंडली में गुरु दोष आ जाए तो करियर में उसे हमेशा हताशा ही हाथ लगेगी. इसलिए कहा जाता है कि हमेशा अपनों से बड़ों का सम्मान करें।

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