Friday, November 22, 2024

Loksabha Election 2024: छत्तीसगढ़ का हाई प्रोफाइल सीट है महासमुंद, जानें क्या है चुनावी समीकरण?

रायपुर: लोकसभा चुनाव के लिए पहले फेज में 19 अप्रैल को देश भर में 102 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। छत्तीसगढ़ में पहले फेज में एकमात्र सीट बस्तर लोकसभा सीट पर वोटिंग हुई। पहले फेस में यहां 63.41 प्रतिशत वोटिंग हुई। ऐसे में दूसरे फेज में होने वाले मतदान अति रोमांचक बना हुआ है। दूसरे फेज में प्रदेश के तीन लोक सभा सीटों पर वोटिंग होगी। ऐसे में तीन सीटों में महासमुंद सीट हाई प्रोफाइल सीट बना हुआ है। (Loksabha Election 2024) इन सीटों पर 26 अप्रैल को मतदान होना है। इस की बात करें तो, यहां से बीजेपी ने ओबीसी वर्ग की महिला उम्मीदवार रूप कुमारी चौधरी को मैदान में उतारा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने भी ओबीसी का कार्ड खेलते हुए पार्टी के दिग्गज नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में इस सीट पर दोनों पार्टी में कांटे की टक्कर देखने को मिल रहा है।

महासमुंद सीट है ओबीसी का गढ़

महासमुंद लोक सभा सीट को ओबीसी का गढ़ माना जाता है। ऐसे में इस सीट पर इस बार दोनों राजनीतिक पार्टी ने ओबीसी का कार्ड खेलते हुए अपने-अपने उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से घोषित किए हैं। इस वजह से इस सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। बता दें कि महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में तीन जिले शामिल है। जिले में धमतरी, महासमुंद और गरियाबंद है। हालांकि महासमुंद लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा है। चार विधानसभा में खल्लारी, धमतरी, सरायपाली और बिंद्रन बगड़ शामिल है। हालांकि चार विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी का भी कब्जा है। भाजपा का कब्जा बसना, राजिम, कुरूद और महासमुंद में है। बता दें कि इन तीनों जिलों में कुल वोटर्स की संख्या 17 लाख 90 हजार है। पुरुष मतदाता 8 लाख 60 हजार है। तो महिला मतदाता 8 लाख 90 हजार है।

हाईप्रोफाइल सीट बनने के पीछे का कारण

छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिसमें महासमुंद सीट हाई प्रोफाइल सीट के लिस्ट में शामिल है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस सीट पर पिछले कई सालों से दिग्गजों का कब्जा रहा है। बात करें 1952 से हुए आज तक के चुनावों की तो यहां साल 1952 से अब तक 19 चुनाव हुए हैं। इस दौरान 12 बार इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। बता दें कि इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल सात बार चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्री रहे हैं। साथी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल एक बार इस सीट से चुनाव जीते थे। इसके साथ प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी साल 2004 के दौरान इस सीट से जीत अपने नाम दर्ज किए थे। वहीं जोगी के बाद 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा किया है।

महासमुंद सीट का क्या है जातिगत समीकरण?

अगर बात हम जातिगत समीकरण की करें तो महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 51% मतदाता ओबीसी वर्ग के हैं। ओबीसी में यादव, कुर्मी, अगरिया, साहू और कोलकाता समाज आते हैं। हालांकि इस सीट पर एसटी वोटर की संख्या 20 फ़ीसदी है। वहीं एसी वोटर्स की संख्या 11 फीसदी है। इस सीट पर अनारक्षित वोटर्स लगभग 12 फ़ीसदी हैं। इस आंकड़े के मुताबिक की स्पष्ट हो रहा है कि इस सीट पर ओबीसी का गढ़ है।

एक समय में इस सीट पर था कांग्रेस का कब्जा

बता दें कि पहले महासमुंद लोकसभा सीट को कांग्रेसी गढ़ बताया जाता था, लेकिन पिछले तीन लोकसभा चुनाव से बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा कर रखा है। ऐसे में इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने ओबीसी कार्ड खेलते हुए इस सीट के लिए ओबीसी वर्ग से महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। इस सीट पर साहू उम्मीदवार को मौका देते हुए पिछले तीन बार से बीजेपी जीत अपने नाम कर रही है। हालांकि भाजपा ने साहू कार्ड को दरकिनार करते हुए इस बार के चुनाव में इस सीट से ओबीसी वर्ग की महिला उम्मीदवार को मौका दिया है। हालांकि भाजपा की तरफ से इस सीट पर ओबीसी वर्ग की पहली महिला उम्मीदवार रूप कुमारी चौधरी को मौका मिला है। तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सीट के लिए अपने भरोसेमंद नेता वा पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को मौका दिया है। इस वजह से इस बार हो रहे लोकसभा चुनाव में महासमुंद लोकसभा सीट पर मुकाबला कांटे की टक्कर का है ।

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