रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में 75 पार का दावा करने वाली कांग्रेस सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गई। पार्टी के कई बड़े दिग्गज परास्त होने के बाद चितंन मथंन करते हुए नजर आए। हार को लेकर संगठन के अंदर और बाहर पार्टी नेताओं के बीच वाकयुद्ध का दौर जारी है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव और पूर्व पार्टी प्रभारी कुमारी सैलजा सवालों के घेरे में हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव मे हार के बाद लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए अग्नि परीक्षा है।
पायलट को बनाया कांग्रेस प्रभारी
कांग्रेस सियासी दरिया को पार करना चाहती है, ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान के दिग्गज कांग्रेस नेता सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ में पार्टी को उबारने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। कुमारी सैलजा की जगह पायलट को प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया। चुनाव नतीजे के महज 20 दिन बाद फैसला लेते हुए कांग्रेस ने शनिवार को पार्टी में बड़ा फेरबदल किया।
पार्टिया लोकसभा चुनाव में जुटीं
कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कुमारी सैलजा की जगह लेंगे। वहीं सैलजा को अब उत्तराखंड के प्रभारी महासचिव का प्रभार दिया गया है। बता दें, बीजेपी और कांग्रेस दोनो ही पार्टी लोकसभा चुनाव की तैयारियों जोरो-शोरों से जुटी है। ऐसे में पार्टी में महासचिव, नेताओं, प्रभारियों का फेरबदल देखने को मिल रहा।
भारतीय जनता पार्टी ने ली चुटकी
छत्तीसगढ़ में भाजपा के सीनियर नेता और कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बड़ा बयान दिया है। अग्रवाल ने कहा, ‘ पायलट कब उड़ा देगा और डूबो देगा उसका कोई भरोसा नहीं है। उन्होंने राजस्थान में नैया डूबा दी। अब छत्तीसगढ़ की बारी है।
पायलट के बहाने नई रणनीति पर काम करेगी कांग्रेस?
चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस छत्तीसगढ़ में कई संगठनात्मक बदलावों पर जोर दे रही है। 16 दिसंबर को कांग्रेस ने चरणदास महंत को नेता प्रतिपक्ष की कमान दी। वहीं प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पद पर बरकरार रखा। इसके बाद शुक्रवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को कांग्रेस ने राष्ट्रीय घोषणा पत्र समिति का संयोजक नियुक्त किया। जबकि इससे पहले पूर्व सीएम भूपेश बघेल को भी पार्टी ने अपनी नेशनल टीम में शामिल किया और उन्हें राष्ट्रीय गठबंधन समिति का सदस्य बनाया है। अब पायलट को छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है। इन बदलावों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस संगठन को अलग रणनीति के तहत चलाने की योजना पर काम कर रही है।