रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के नगरनार में मौजूद एनएमडीसी स्टील प्लांट द्वारा जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है। यह पानी आसपास रहने वाले किसानों के लिए अभिशाप बन गया है। दरअसल, इस प्लांट के गेट नंबर-3 से रसायन युक्त जहरीला पानी खेतों की तरफ छोड़ा जा रहा है। एनएमडीसी स्टील प्लांट में इसी साल से उत्पादन शुरू हुआ। इस दौरान यहां से निकलने वाला जहरीला पनाी कई एकड़ में लगी फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर चुका है।
किसानों को हो रहा भारी नुकसान
इस दौरान परेशान किसानों ने बताया कि जो पानी खेतों में छोड़ा गया है उसमें तेल भी मिला है। जिसकी वजह से 200 एकड़ जमीन पूरी तरह से काली पड़ गई है। इस कारण खेत की जमीन भी धीरे-धीरे ठोस होती जा रही है। किसानों ने बताया कि इसका असर उर्वरक क्षमता पर भी पड़ रहा है। यही नहीं खेतों में लगाया गया धान भी पूरी तरह से खराब हो गया है। जिसके चलते अब प्रभावित किसानों ने प्रशासन से इस समस्या का निदान ढूंढने और एनएमडीसी से इस नुकसान की भरपाई करने की मांग की है।
पानी में मिले हैं कई रसायनिक तत्व
बता दें कि बस्तर जिले के नगरनार में मौजूद एनएमडीसी स्टील प्लांट से स्टील का उत्पादन शुरू हुआ है। हालांकि यह स्टील उत्पादन बस्तर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यहां से निकलने वाला रसायन युक्त जहरीला पानी खेतों में छोड़े जाने के कारण आसपास के किसान काफी परेशान हैं। किसानों से मिली जानकारी के अनुसार प्लांट के गेट नंबर 3 से छोड़े गए पानी से सबसे ज्यादा नुकसान मंगनपुर और उपनपाल क्षेत्र में हुआ है। प्लांट से निकलने वाले पानी में कई रसायन मिले होते हैं। जिनमें अमोनिया, नेफथलीन, कार्बन डाइऑक्साइड, तेल और ग्रीस मौजूद हैं।
किसानों ने बस्तर कलेक्टर से की शिकायत
किसानों के अनुसार, उनके विरोध करने पर एनएमडीसी प्रबंधन ने यह वादा किया कि इस समस्या से निपटने के लिए जल्द ही कोई स्थायी समाधान निकाला जाएगा। एनएमडीसी प्रबंधन ने लापरवाही बरतते हुए साल भर बाद भी उनके खेतों में फिर रसायनयुक्त पानी छोड़ना बंद नहीं किया है। दूसरी तरफ नगरनार के सरपंच लेखन बघेल ने बताया कि करीब 20 दिन पहले बस्तर कलेक्टर को इस बात की जानकारी दी गई थी। जिसमें बताया गया था कि प्लांट के जहरीले पानी से खेतों के साथ ही आसपास के तालाब भी खराब हो रहे हैं। किसानों ने शिकायत करते हुए बताया कि जहरीले पानी से खेतों की सतह पर सिल्ट जम रही है, जिससे जमीन ठोस होती चली जा रही है। जहरीले पानी के कारण होने वाले नुकसान का मुआवजा एनएमडीसी प्रबंधन को देना चाहिए और इसके साथ ही स्थायी समाधान भी प्रशासन और प्लांट प्रबंधन को सोचना चाहिए।