Friday, November 22, 2024

Chhattisgarh Politics: झीरम नक्सली हमले की जांच पर शुरु हुई सियासी जंग , कांग्रेस-बीजेपी ने लगाए आरोप

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2013 में चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस नेताओं के काफिले पर नक्सली हमला हुआ था। जिसमें कांग्रेस के बड़े नेताओं और सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। कांग्रेस पार्टी इसे राजनीतिक षड्यंत्र बता रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इसके पीछे कांग्रेस पार्टी को ही संदिग्ध बता रही है। बता दें कि मंगलवार को 10 साल से जांच कर रही एनआईए की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जिसके बाद से झीरम घाटी नक्सली हमले पर सियासत तेज है।

कोर्ट के फैसले के बाद सियासी जंग शुरु

दरअसल, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया। इस दौरान एनआईए ने जांच पहले शुरू करने का हवाला देकर राज्य पुलिस के हस्तक्षेप को रोकने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद अब अब छत्तीसगढ़ की पुलिस झीरम नक्सली हमले के षड्यंत्र पर जांच कर सकती है। कोर्ट के फैसले के बाद सियासी जंग शुरु हो गई है। जिसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने सीएम भूपेश बघेल पर निशाना साधा है और सीएम पर झीरम के सबूत छिपाने का आरोप भी लगाया है।

अरुण साव ने सीएम बघेल पर लगाया आरोप

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने रायपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए यह अपराध किया। प्राकृतिक न्याय की अपेक्षा यही हो सकती है कि झीरम के सबूत छिपाने का अपराध करने वाले को भी जांच और पूछताछ के दायरे लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल ने स्वयं यह कबूल किया है कि झीरम के सबूत उनके कुर्ते की जेब में हैं। तब उन्होंने 5 साल मुख्यमंत्री रहते हुए यह सबूत जांच एजेंसी को क्यों नहीं सौंपे। अरुण साव ने आगे कहा, भाजपा शुरु से ही यह कहती आ रही है कि झीरम मामले में कांग्रेस का चरित्र संदिग्ध है। झीरम हमले के चश्मदीद उनके कैबिनेट मंत्री ने क्यों इस मामले में न तो न्यायिक जांच आयोग के सम्मुख गवाही दी और न ही जांच एजेंसी को कोई सहयोग दिया।

कांग्रेस का बीजेपी पर पलटवार

दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए एनआईए और बीजेपी पर कई सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 2013 में 6-7 मई को बस्तर ज़िले में रमन सिंह की विकास यात्रा निकली थी। जिसके लिए 1781 सुरक्षा कर्मी तैनात थे। जबकि उसी बस्तर ज़िले में 24-25 मई को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा निकली तो मात्र 138 सुरक्षा कर्मी तैनात रहे।

रमन सिंह ने जनता से छिपाई बात

विनोद वर्मा ने यह भी सवाल किया कि दिसंबर 2016 में केंद्र की सरकार ने राज्य में सीबीआई जांच के अनुरोध को ठुकरा दिया और कह दिया कि एनआईए जांच ही काफी है। वहीं रमन सिंह ने दिसंबर 2018 तक छत्तीसगढ़ की जनता से यह बात छिपाए रखी थी। विनोद वर्मा ने आगे कहा कि अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र की बीजेपी सरकार क्यों नहीं चाहती कि व्यापक राजनीतिक षड्यंत्र की जांच की जाए?

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