रायपुर। छत्तीसगढ़ में कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. प्रदेशवासियों के लिए भूपेश सरकार द्वारा लगातार नए-नए फैसले लिए जा रहे हैं. बता दें, महिलाओं के खिलाफ अपराध की रोकथाम के लिए भूपेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. राज्य में सरकारी नौकरी को लेकर बदलाव किया गया है. प्रदेश के जिन युवा या अभ्यर्थी के ऊपर गंभीर आरोप लगा हो, वैसे लोग अब सरकारी नौकरी से वचिंत हो जाएंगे। गंभीर आरोप जैसे- बालिकाओं और महिलाओं के साथ छेड़-छाड़, रेप या दुष्कर्म।
कोर्ट के फैसला तक नियुक्ति रखा जाएगा लंबित
हालांकि प्रदेश की भूपेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि राज्य में ऐसे किसी भी व्यक्ति, युवा या अभ्यर्थी को सरकारी नौकरी देने पर पाबंदी होगी, प्रदेश के वैसे लोग जिसपर दुष्कर्म, छेड़छाड़ जैसा संगीन आरोप हैं. सोमवार को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं. प्रदेश में अब रेप आरोपियों को सरकारी नौकरी देने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. जारी आदेश के मुताबिक सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी यदि किसी संगीन आरोप के दोषी या आरोपी पाए जाते है तो उन्हें सरकारी नौकरी से वचिंत कर दिया जाएगा, उसकी नियुक्ति नहीं की जाएगी. अगर उम्मीदवार के खिलाफ कोर्ट में ऐसे मामले लंबित हो तो ऐसी स्थिति में न्यायालय के अंतिम फैसला आने तक अभ्यर्थी की नियुक्ति लंबित रखा जाएगा।
सीएम ने किया प्रशासनिक आदेश जारी
आपको बता दें कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यानी 15 अगस्त को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने घोषणा की थी कि जिनके ऊपर गंभीर आरोप लगा हो वैसेे लोग सरकारी नौकरी से बैन कर दिए जाएंगे। ऐसे व्यक्तियों को सरकारी नौकरी में नियुक्त नहीं किया जाएगा। सीएम ने कहा था कि जिनपर महिलाओं या लड़कियों से छेड़छाड़ करने का आरोप, रेप या दुष्कर्म, महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार का अपराध करने का आरोप है. उन्हें अब सरकारी नौकरी करने का मौका नहीं मिलेगा। इस संबंध में सोमवार यानी आज सीएम भूपेश बघेल ने प्रशासनिक आदेश जारी कर दिया है.
सिविल सेवा की सामान्य शर्त
अधिनियम 1961 के नियम 6 के उपनियम चार में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा की सामान्य शर्त को तय किया गया है. शर्त के अनुसार ऐसे अभ्यर्थी जिनके खिलाफ बालिकाओं और महिलाओं से छेड़छाड़ और दुष्कर्म या किसी प्रकार का गंभीर आरोप संबंधी मामले शासकीय सेवा में नियुक्त नहीं किए जाएंगे. आदेश के अनुसार व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1960 की धारा 354, 376, 376 (a), 376(b), 376(c), 376(d), 509, 493, 496 और 498 के अलावा पॉक्सो एक्ट 2012 के अंतर्गत केस दर्ज़ नहीं होना चाहिए. ऐसी स्थिति में न्यायालय के अंतिम फैसला आने तक इंतज़ार किया जाएगा.