Friday, November 22, 2024

छत्तीसगढ़ः HC ने CGPSC की मेरिट लिस्ट याचिका खारिज, जानें कोर्ट ने क्या कहा

रायपुर। छ्त्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बुधवार को CGPSC 2014 की जारी मेरिट लिस्ट को निरस्त कर दिया है. बता दें कि यह याचिका महिला अभ्यर्थी द्वारा दाखिल की गई थी. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की अनुमति नहीं है. सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश में होरिजेंटल और वर्टिकल आरक्षण के नियम को विस्तार रूप से स्पष्ट किया है। कोर्ट में न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच में मामले की सुनवाई की गई. राज्य प्रशासनिक सेवा के अलग -अलग पदों के लिए पीएससी ने साल 2014 में विज्ञापन जारी किया था. जारी विज्ञापन में डिप्टी कलेक्टर के कुल 21 पद थे. जिसमें 9 पद अनारक्षित, SC के लिए 2 पद, ST के लिए 7 पद और OBC वर्ग के लिए 3 पद आरक्षित थे. इसमें से महिला आरक्षण के तहत 2 पद एसटी (ST) वर्ग की महिला और 2 पद अनारक्षित महिला प्रतिभागी के लिए आरक्षित थे. जबकि विज्ञापन के मुताबिक OBC वर्ग के महिला के लिए पद आरक्षित नहीं थे।

कोर्ट ने अंतरिम आदेश को किया निरस्त

मिली जानकारी के अनुसार चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद OBC वर्ग की प्रतिभागी ओंकार यादव मेरिट में 10वें नंबर पर आई. इसके बाद उसका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ. इसे CGPSC की मुख्य परीक्षा में मौजूद रही हिमशिखा साहू ने उच्च न्यायालय को चुनौती दी. उन्होंने कहा कि OBC वर्ग महिला के लिए पद आरक्षित होने पर उनका चयन ओंकार यादव की स्थान पर होना था. प्रारंभिक सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता महिला के पक्ष में अंतरिम ऑर्डर दिया था. इस बीच GST डिपार्टमेंट में ओंकार यादव ने ज्वाइन कर लिया। वे वर्तमान समय में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर पदस्थ हैं. मामले पर सुनवाई के वक्त बताया गया कि महिला मेरिट लिस्ट में 29वें नंबर पर आई थी. लेकिन उनका नाम मेरिट लिस्ट में नहीं था. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि उन्हें याचिका दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं था. इसी दौरान PSC की ओर से बताया गया कि नियमों का पालन करते हुए मेरिट लिस्ट जारी की गई थी. सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने महिला की याचिका खारिज करते हुए उनके पक्ष में जारी अंतरिम आदेश कैंसिल कर दिया।

शारीरिक रूप से दिव्यांगों को होरिजेंटल आरक्षण का फायदा

न्यायालय ने प्रतिवादी अधिकारी की किसी प्रकार की कोई त्रुटि नहीं होने की वजह से सीनियारिटी समेत अन्य फायदे देने के आदेश दिए हैं. उच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट और अन्य के आदेशों का हवाला देते हुए वर्टिकल और होरिजेंटल आरक्षण को विस्तार रूप से स्पष्ट किया है. साथ ही कहा कि वर्टिकल आरक्षण 50 प्रतिशत अनारक्षित और 50 प्रतिशत SC, ST और OBC के लिए है. SC, ST और OBC को वर्टिकल आरक्षण का फायदा दिया जाता है, जबकि शारीरिक रूप से दिव्यांगों को होरिजेंटल आरक्षण का फायदा दिया जाता है।

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