Friday, November 22, 2024

छत्तीसगढ़: HC ने नाबालिग छात्रा को दिया अबॉर्शन कराने का आदेश

रायपुर। उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग गर्भवती छात्रा का अबॉर्शन कराने का आर्डर दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने आदेश में कहा है कि उसके भ्रूण का डीएनए टेस्ट भी कराना अनिवार्य है. कोर्ट ने कहा कि DNA रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को सजा दिया जा सकता है।

टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम के तहत

जानकारी के मुताबिक यह मामला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले का है . इसी जिले की रहने वाली 10वीं कक्षा की रेप पीड़िता नाबालिग छात्रा गर्भवती हो गई थी. इसके बाद परिजनों ने टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी अधिनियम की धारा 3 और नियम 9 के आधार पर नाबालिग छात्रा का अबॉर्शन कराने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. हाईकोर्ट में उनके अधिवक्ता समीर सिंह और रितेश वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए नाबालिग की अच्छी जीवन जीने के लिए उसका अबॉर्शन कराने की आर्डर मांगी. आपकों बता दें कि कोर्ट में इस मामले की पिछली सुनवाई के वक़्त न्यायधीश एनके व्यास ने सीएमएचओ (CMHO) को नाबालिग की मेडिकल बोर्ड से चेक कराकर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था।

कोर्ट ने अबॉर्शन कराने का दिया आदेश

मिली जानकारी के मुताबिक मेडिकल रिपोर्ट में चिकित्सकों की टीम ने अदालत को बताया कि किसी भी प्रेग्नेंट लड़की या महिला का अबॉर्शन 25 सप्ताह के अंदर किया जा सकता है. इससे प्रेग्नेंट लड़की या महिला की जान का किसी तरह का कोई खतरा नहीं रहता. बता दें कि इस मामले की सुनवाई न्यायधीश राकेश मोहन पांडेय के वेकेशन कोर्ट में किया गया. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय और हाईकोर्ट के आर्डर का हवाला दिया और मेडिकल रिपोर्ट के तहत छात्रा की अबॉर्शन कराने की आज्ञा मांगी. मामले की सुनवाई के बाद न्यायालय ने प्रेगनेंट नाबालिग छात्रा को शुक्रवार 2 जून को अबॉर्शन कराने का आदेश सीएमएचओ (CMHO) राजनांदगांव को दिया है. इसके साथ ही उसके भ्रूण को DNA टेस्ट कराकर रिपोर्ट को सुरक्षित रखने के लिए आर्डर दिया है।

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