रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो हज़ार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी की है. इसके बाद आरोपियों ने ED की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली. उच्चतम न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि मनी लांड्रिंग एक्ट के प्रावधानों को सही बताया जा चुका है. इसके बाद भी आरोपी पुलिस गिरफ्तारी से राहत के लिए ईडी को चुनौती देने में पीछे नहीं रह रहे हैं. इससे साफ पता चल रहा है कि न्यायिक प्रक्रिया का उलंघन किया जा रहा है।
सिवील कोर्ट जा सकते है याचिकाकर्ता
मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद वरिष्ठ वकील ए एन सिंघवी ने अख्तर ढेबर की याचिका वापस ले ली. बता दें कि धन शोधन निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती के लिए याचिका दायर की गई थी. इसके बाद छत्तीसगढ़ के आबकारी ऑफिसर निरंजन दास की याचिका भी वापस ले ली गई. इससे पहले भी उच्च न्यायालय ने ED की कार्रवाईयों के खिलाफ लगी 06 याचिकाएं खारिज कर दी थीं. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि आज की स्थिति में किसी तरह का कोई भी तथ्य नहीं है. जिसके तहत इन याचिकाओं को स्वीकार किया जा सके. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अगर चाहें तो सिवील कोर्ट जा सकते है. जहां मानहानि की क्षतिपूर्ति के लिए याचिका दायर कर सकते हैं।