रायपुर। सीएम भूपेश बघेल आज यानी गुरुवार को मूली पढ़हा उरांव समाज द्वारा आयोजित सरहुल पर्व में शामिल हुए. यह कार्यक्रम पीजी कॉलेज मैदान में आयोजित किया गया था. इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी संस्कृति सबसे पुरानी संस्कृति है, और उसकी अनेक सबसे महान पंरपराएं तीज त्योहार हैं, जिससे पूरी दुनिया विचार कर सकती है. सीएम ने समाज प्रधान के साथ पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजा कर राज्य के लोगों में खुशहाली रहने की कामना की।
सभी त्योहार प्रकृति से जुड़ा
सीएम ने कहा कि आदिवासियों के जितने भी पर्व हैं. उनके सभी त्योहार प्रकृति से जुड़ा हुआ हैं. इन आदिवासियों के जीवन में कितने भी परेशानी क्यों न आए हों, जैसे ही इनके पर्व आते है, सभी प्रसन्न होकर झूमने लगते हैं. उन्होंने कहा कि प्रकृति कि साथ जो जीवन जीता है, झूमता और गाता है उसी का नाम सरहुल पर्व है. राज्य की सांस्कृतिक विरासत को अमल रखने के लिए हमारी सरकार काम कर रही है. इसके बाद उन्होंने कहा कि बिगड़े जंगलों को सुधारने का काम तेजी से किया जा रहा है. कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना की भी शुरूआत की गई है, ताकि अपने जमीन में भी कोई पेड़ लगाना चाहे तो उसकी हिम्मत बढ़ाया जा सके. उन्होंने कहा कि 36 हजार एकड़ में पेड़ लगाने का लक्ष्य इस योजना के तहत है. शहरों में हरियाली बढ़ाने और प्राचीन वृक्षों को बचाने के लिए कृष्ण-कुंज का निर्माण भी किया जा रहा है.