रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा जाति बनाने के लिए पंडितों को जिम्मेदार बताने वाले बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल उठाया है। मुख्यमंत्री ने पूछा कि हिंदूवादी और जातीय संगठन इस बयान पर चुप क्यों है? बात-बात पर एफआईआर कराने वाले संगठन ब्राह्मणों के खिलाफ बोलने पर चुप क्यों हैं? बघेल ने कहा कि एक तरफ मोहन भागवत कहते हैं कि जाति पंडितों ने बनाई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि हिंदू कोई धर्म नहीं है, यह जीवन जीने की शैली है। तो मैं अब ये कहना चाहूंगा कि बहुत से लोग पहले एफआईआर कराते थे। मेरे पिताजी के खिलाफ एफआईआर कराई, उसमें तो मैंने उनकी गिरफ्तारी भी कराई।
अब वो तथाकथित संगठन चुप क्यों हैं। अगर ब्राह्मणों के खिलाफ इस तरह की बातें हो रही है तो वे संगठन चुप क्यों हैं । मुख्यमंत्री बघेल ने जाति बनने की अपनी व्याख्या दी। उन्होंने बताया कि जाति शब्द की उत्पत्ति, ज्ञाति शब्द से हुई है। जो जिस काम का ज्ञान रखते हैं, वह उस ज्ञाति के हो गए। उसी ज्ञाति से फिर जाति बन गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अगर लोहे का काम करते हैं तो लोहार हो जाते हैं, क्योंकि उसका ज्ञान उनके पास है। यहां जाति को तोड़ने की बहुत प्रयास किए गए। भगवान बुद्ध, महावीर, गुरु नानक देव और छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास ने जाति को तोड़ने के लिए काम किया, लेकिन फिर से वे जाति बन गई। गुरु नानक देव ने सिख धर्म चलाए, वह अलग ही बन गया। महावीरजी जैन धर्म चलाएं, कई जातियों के बावजूद वे जैनी कहलाएं। गुरु घासीदास ने सतनाम पंथ चलाया, उससे सतनामी जाति बन गई। ये कहना कि यह पंडितों ने किया है, ब्राह्मणों ने किया है, यह बिल्कुल गलत बात है।
संघ ने बताया अनुवाद में गड़बड़ी से हुआ भ्रम
मोहन भागवत के जिस बयान को लेकर विवाद हो रहा है, उसे भागवत ने मराठी में दिया था। संघ पदाधिकारियों ने विवाद होने के बाद स्पष्ट किया कि जिस बयान को लेकर विवाद हो रहा है, दरअसल भागवत ने वैसा कोई बयान ही नहीं दिया है। उनके मराठी भाषण के अनुवाद में गड़बड़ी होने के कारण यह भ्रामक बयान जनता के बीच पहुंच गया।